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महाराष्ट्र मंडल पहुंचे डॉ. वली... कहा, आज का भोजन लायक नहीं, नालायक... मिलेट्स अपनाने से दूर होंगी बीमारियां

महाराष्ट्र मंडल पहुंचे डॉ. वली... कहा, आज का भोजन लायक नहीं, नालायक... मिलेट्स अपनाने से दूर होंगी बीमारियां
रायपुर। जीवन के आहार अति आवश्यक है, पर उसकी अधिकता बीमारियों को दावत देती है। शास्त्र में इस बात का उल्लेख है कि एक बार खाए योगी, दो बार खाए भोगी और तीन बार खाए वो रोगी। पर सवाल है कि आखिर क्या खाएं कि हमेशा रहें निरोगी... इस बात का जिक्र करते हुए भारत में मिलेट्स के जनक पद्मश्री डॉ. खादर वली ने कहा कि वही खाएं, जो वास्तव में असल भोजन हैं। 
 
दरअसल, महाराष्ट्र मंडल रायपुर में रविवार को 'मिलेट्स कितना हेल्दी और वेल्दी' कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर देश के प्रसिद्ध मिलेट्स एक्सपर्ट पद्श्री डॉ. खादर वली थे। डॉ. वली किसी नाम के मोहताज नहीं है, बल्कि उन्हें भारत में मिलेट्स का जनक कहा जाता है। 
 
डॉ. वली ने वर्तमान समय के आहार का विश्लेषण करते हुए बताया कि आज हम जिस चावल और गेहूं को महंगी कीमतों में खरीद रहे हैं, जिसमें हम स्वाद खोजने का प्रयास कर रहे हैं, वास्तव में वह सी—3 ग्रेड का अनाज है। जिसमें ग्लुकोज की मात्रा इतनी ज्यादा है कि इंसान बीमारियों का घर हो गया है। हमारी आने वाली पीढ़ी जन्मजात डाइबिटिक होने वाली है, जिससे हम बच नहीं सकते। डॉ. वली ने कहा कि आज हमारे भोजन में ना तो फायबर की मात्रा है और ना ही कार्बोहाइड्रेड विकसित करने का गुण है। 
 
 
उन्होंने बेहद स्पष्ट शब्दों में कहा कि शरीर में ग्लूकोज की मात्रा अधिकतम 5 ग्राम होनी चाहिए, लेकिन हर इंसान के शरीर में यह दोगुना पहुंच रहा है। हर दिन हम भोजन में शर्करा तो खाते ही हैं, उस पर चाय, काफी और दूसरे ब्रेवरेज पदार्थों के माध्यम से कहीं अधिक शर्करा अपने शरीर में पहुंचाते हैं। इसका सीधा असर खून पर पड़ता है, इससे शरीर का खून गाढ़ा होने लगता है और सही तरीके से शरीर के हर भाग में नहीं पहुंच पाता, जिसकी वजह से हार्ट अटैक और फिर इंसान की मौत हो जाती है। 
 
उन्होंने श्री अन्न यानी मिलेट्स जिसमें कोदो चावल, रागी, ज्वार, बाजरा शामिल है, उसे लेकर बताया कि वास्तव में असल भोजन ये हैं, जिनका नियमित उपयोग यदि लोग शुरु कर दें, अपनी दिनचर्या सुधार लें, तो अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। डॉ. वली ने कहा कि एक मां जब किसी बच्चे को जन्म देती है, तो ईश्वर उस बच्चे के लिए मां के वक्ष में दूध भर देते हैं। दो से ढ़ाई साल बाद मां का दूध आना बंद हो जाता है। इसके बाद लोग अपने बच्चे को गाय का या फिर पैकेट का दूध पिलाने लगते हैं। 
 
इस बात पर खींझते हुए और सभागार में उपस्थित लोगों को समझाते हुए डॉ. वली ने कहा कि जब प्रकृति ने बच्चे के लिए दूध की मात्रा का निर्धारण किया है, तो फिर अतिरिक्त देने की जरुरत ही क्या है। मां का दूध बंद होने का सीधा मतलब है कि अब बच्चे को दूध की आवश्यकता नहीं है। वहीं उन्होंने मांसाहार को लेकर कहा कि यह सब बीमारियों को दावत देने वाली चीजें हैं, लेकिन लोग इस पर ध्यान नहीं देते। 
 
 
डॉ. वली ने शिवाजी महाराज और उनके सैनिकों की बात करते हुए कहा कि उनका अभ्यास भोजन पाने के लिए कभी नहीं रूका। शिवाजी महाराज खुद भी झिंगोरा आहार ग्रहण करते थे और अपने सैनिकों को भी उसका ही सेवन कराते थे। डॉ. वली ने बताया कि यह एक ऐसा आहार था, जिसका सेवन करने से ​8 से 10 घंटे तक भूख नहीं लगती थी, तो शरीर ऊर्जा से भरा रहता था। 
 
डॉ. वली ने कहा कि आज हमारी थाली से मिलेट्स नदारद हैं। दरअसल, यह एक प्लानिंग के तहत हुआ है। रासायनिक खाद से उपजने वाले अनाज को हमारी थाली पर इस तरह परोस दिया गया है, कि हम अपने वास्तविक भोजन को भूल चुके हैं। जबकि कोदो चावल, एक अकेला मिलेट्स यदि आपके जीवन में नियमित तौर पर शामिल हो जाए, तो इंसान के जीवन का कायाकल्प हो जाएगा। 
 
डॉ. वली ने चैलेंज किया कि देशभर के डॉक्टर्स अपने पास आने वाले हर मरीज को दूध बंद करने की सलाह दे दें, तो देश के आधे से ज्यादा अस्पतालों में ताला लग जाएगा। उन्होंने कहा कि आज विज्ञान और चमत्कार की बात की जाती है, लेकिन कोई भी मिलेट्स पर शोध करने के लिए तैयार नहीं है। उल्टे सी—3 ग्रेड के अनाज को देश में पेटेंट करने का सिलसिला चल पड़ा है, ब्रांडिंग हो रही है और उसकी ऊंची कीमत लगाई जा रही है। 
 
डॉ. वली ने कहा कि अब भी वक्त है जीवन को सही दिशा में लाने का। यदि आज से हर व्यक्ति संकल्प कर ले, कि बाजार में मिलने वाले रासायनिक चावल, गेंहू की बजाय कोदो चावल नियमित खाएंगे, भोजन के समय का ख्याल रखेंगे और दूध, मांसाहार, अंडे से खुद को बचाएंगे, तो बीमारियों से आजादी मिल जाएगी। 
 
इस मौके पर आहार विशेषज्ञ डॉ. अभया जोगलेकर ने डॉ. वली की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि वास्तव में जीवन का मूल आधार, आहार ही है, लेकिन इस बात का ख्याल रखना सबसे ज्यादा आवश्यक है, कि हमारा आहार कैसा है। डॉ. जोगलेकर ने कहा कि मिलेट्स हकीकत में इंसानों को लिए श्रेष्ठ आहार हैं, जबकि रासायनिक खाद की उपज हमारे लिए नुकसान दायक है। उन्होंने कहा कि शरीर को सही मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, वसा, फायबर, कार्बोहाइड्रेड की आवश्यकता होती है, लेकिन हम जिस आहार का सेवन कर रहे हैं, वह हमारे शरीर में शर्करा को बढ़ा रहा है और कोलेस्ट्राल बढ़ने की वजह से शरीर रोगों से ग्रसित होता जा रहा है। 
 
डॉ. खादर वली के संबोधन से पहले महाराष्ट्र मंडल के वरिष्ठ सदस्य अनिल कालेले, उपाध्यक्ष श्याम सुंदर खंगन ने डॉ. वली के अलावा विशिष्ट अतिथि के तौर पर आहार विशेषज्ञ एवं प्राचार्य डिग्री कन्या महाविद्यालय डॉ. अभया जोगलेकर का शाल—श्रीफल भेंट कर स्वागत किया। इस दौरान महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय काले भी मंच पर मौजूद रहे। 
 
डॉ. वली के मिलेट्स पर विशेष संबोधन को सुनने के लिए महाराष्ट्र मंडल के सदस्यों ने लगभग उपस्थिति प्रदान की। इस दौरान सदस्यों का उत्साह भी देखने मिला। उन्होंने अपने भ्रम को दूर करने के लिए डॉ. वली से कई सवाल भी किए, जिसका उन्होंने जवाब भी दिया।