बच्चों ने दिया बाल गजानन को आकार, बोले गणपति बप्पा मोरया
रायपुर। मिट्टी से प्रतिमा का आकार देने का शौक तो सभी में होता है, लेकिन बच्चों में इसे लेकर ज्यादा उत्साह देखा जाता है, रविवार 1 सितंबर को महाराष्ट्र मंडल पहुंचे 100 से अधिक बच्चों में ऐसा ही उत्साह नजर आया। मौका था महाराष्ट्र मंडल द्वारा आयोजित निःशुल्क ‘आओ बनाएं मिट्टी के गणेश’ के कार्यक्रम का।
मंडल की कला एवं संस्कृति समिति द्वारा लगातार 11 वर्षों से चली आ रही परंपरा में इस वर्ष भी बच्चों के साथ बड़ों में खासा उत्साह नजर आया। बच्चों ने जहां बाल गजानन को आकार दिया वहीं शिविर में बड़े बड़े और बुजुर्गों ने भगवान की अभय मुद्रा और बाल कृष्ण जैसे रूपों को साकार किया। बच्चों का मार्गदर्शन आर्टिसन अजय पोतदार ने किया। उनका साथ सोनल फडणवीश और शेखर क्षीरसागर ने किया।
अपनी सांस्कृतिक धरोधर को संजोकर चल रही महाराष्ट्र मंडळ ने 1 सितंबर को बच्चों को मिट्टी के श्रीगणेश की प्रतिमा बनाने की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। लगातार 11 वर्षों से चल रहे इस काम में इस वर्ष भी 100 से अधिक बच्चों और 50 से अधिक बड़े और बुजुर्गों ने अपनी भागीदारी निभाई। बच्चों ने मिट्टी से श्री गणेश को आकर्षक स्वरूप प्रदान किया। खुद से मिट्टी के गणेश बनाकर बच्चों में अच्छी खासी खुशी देखी गई।
महाराष्ट्र मंडळ के कला एवं संस्कृति प्रभारी अजय पोतदार के मार्गदर्शन में बच्चों ने श्रीगणेश की प्रतिमा बनाई। अजय ने बताया कि अपनी संस्कृति और संस्कार को संजोने के लिए मिट्टी के श्रीगणेश बनाने का काम पिछले 11 सालों से चल रहा है। साल दर साल इसमें भाग लेने वालों की संख्या बढ़ रही है। इस वर्ष 100 से अधिक बच्चों ने अपनी सहभागिता निभाई और प्रतिमा का निर्माण किया।
अजय ने बताया कि मिट्टी मंडळ की ओर से उपलब्ध कराई गई थी। उन्होंने बताया कि मिट्टी से श्रीगणेश की प्रतिमा बनाने के लिए सर्वप्रथम कुल मिट्टी को पांच बराबर भागों में बांटा गया। पहले भाग से प्रतिमा के लिए बेस तैयार किया गया। दूसरे भाग से भगवान का पेट वाला हिस्सा तैयार किया गया। तीसरे भाग से भगवान का सिर और शूड तैयार किया गया। चौथे भाग के दो हिस्से कर दोनों पैर बनाए गए। पांचवें भाग के चार हिस्से कर श्रीगणेश के चारों हाथ तैयार किए गए। मिट्टी को पांच बराबर हिस्सों में इसलिए बांटा गया ताकि प्रतिमा के सारे अंग बराबर बने कोई मोटा पतला न हो।
कला एवं संस्कृति समिति की महिला प्रमुख भारती पलसोदकर, मंडल उपाध्यक्ष गीता दलाल, सचिव चेतन दंडवते, सहसचिव सुकृत गनोदवाले, आचार्य रंजन मोड़क और नमिता शेष ने प्रतिभागियों का उत्साह वर्धन किया। इस अवसर पर साक्षी गनोदवाले, आशीष जोशी, सोनल फडणवीस, मनीषा मुकादम, श्रीकांत कोरान्ने , सोनम गानोदवाले, धनश्री पेंडसे, वैभव शाह , देविका देशपांडे , अनुकृति ओझा साल्वे, सचिंद्र देशमुख, सुमीत मोड़क, रचना ठेंगड़ी, उत्कर्ष शाह, वत्सल मुकादम, स्वाती मोड़क और सारंग मुकादम आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।