एसडीवी के 9 बच्चों ने कराते में पास किया वाइट टू यलो बेस्ट टेस्ट
रायपुर। महाराष्ट्र मंडल द्वारा संचालित संत ज्ञानेश्वर स्कूल के बच्चों को पढ़ाई के साथ कई अन्य गतिविधियां भी सिखाई जाती है। स्कूल के बच्चों को इन दिनों कराते की ट्रेनिंग दी जा रही है। स्कूल के 9 बच्चों ने बीते दिनों वाइट टू यलो बेल्ट टेस्ट पास किया।
स्कूल के प्राचार्य मनीष गोवर्धन ने बताया कि स्कूल में आकर कराते प्रशिक्षक मनीष बाघ बच्चों को कराते सीखा रहे है। शहीद संजय यादव गर्वमेंट हाई स्कूल संजय नगर में हुए वाइट टू यलो बेल्ट टेस्ट में स्कूल के बच्चों ने अपनी सहभागिता निभाई। स्कूल के 9 खिलाड़ियों ने इसे पास किया। अब वह सभी यलो बेल्ट धारक हो गए। जिसमें खुशी सहारे, गायंद्री डडसेना, सुवर्णा रेगे, वेदांत साहू, अभिषेक साहू, मयंक यादव, सक्षम मनवटकर, संस्कार पटेल और तुषार वर्मा शामिल है।
बता दें कि व्हाइट बेल्ट (मुक्यू "नो क्यू") - यह एक शुरुआती बेल्ट है जो कोई प्रगति नहीं होने का संकेत देती है। अंग्रेजी और जापानी संस्कृतियों में, सफेद मासूमियत और पवित्रता का रंग है। सफेद बेल्ट का उद्देश्य जीआई (कराटे पोशाक) को एक साथ पकड़ना और छात्र को कराटे बेल्ट को ठीक से बांधना और पहनना सिखाना है। पहला पूर्ण ग्रेड जो एक छात्र प्राप्त कर सकता है वह एक येलो बेल्ट है। इसमें ग्रेडिंग में भाग लेना और आपके व्हाइट बेल्ट पाठ्यक्रम तकनीकों पर मूल्यांकन किया जाना शामिल है।
कराते के फायदे
कराते एक उच्च-एरोबिक गतिविधि है जो आपके शरीर के लगभग हर मांसपेशी समूह का उपयोग करती है। कराते के अभ्यास से आपकी सहनशक्ति, मांसपेशियों की टोन, लचीलापन, संतुलन की भावना और साथ ही आपकी समग्र कच्ची ताकत में सुधार होगा। कराते से पूरे शरीर की पूरी कसरत होती है, जिससे वजन घटाने और समग्र स्वास्थ्य एवं फिटनेस में मदद मिलती है।