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संस्कृत का शाब्दिक अर्थ किया जाने वाला अच्छा काम... इसके बगैर जीवन की कल्पना अधूरी है

संस्कृत का शाब्दिक अर्थ किया जाने वाला अच्छा काम... इसके बगैर जीवन की कल्पना अधूरी है
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से संचालित सामाजिक, सांस्कृतिक व शैक्षणिक संस्था महाराष्ट्र मंडल में रविवार को मेधावी छात्र—छात्राओं के सम्मान का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस भव्य आयोजन में रायपुर के उन तीन छात्र—छात्राओं को सम्मानित किया गया, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में मिसाल कायम किया है। 
 
इस मौके पर महाराष्ट्र मंडल के सचिव चेतन दंडवते ने अपने सारगर्भित संबोधन में जीवन के महत्व और संस्कृति की भूमिका को बताया। दंडवते ने कहा कि जीवन में संस्कार और संस्कृति दोनों की मौजूदगी जीवन को आसान बनाती है और कामयाबी के लिए हर किसी की जिंदगी में इन दोनों ही बातों की समन्वयता महत्वपूर्ण होती है। 
 
दंडवते ने कहा कि संस्कृति का उद्भव संस्कृत से हुआ है। उन्होंने का कि संस्कृत का संधि विच्छेद किया जाए, तो इस शब्द का वास्तविक अर्थ पता चलता है। दंडवते ने कहा कि संस्कृत का मूल सारांश 'किया जाने वाला अच्छा काम' होता है। उन्होंने कहा कि हम इंसान जितना अच्छा काम करेगा, उसकी सफलता उतनी ही सुनिश्चित होती है। 
 
 
दंडवते ने वर्तमान परिदृश्य को लेकर कहा कि आज के समय में संस्कार और संस्कृति का पतन हो रहा है, जिसकी वजह से परिवारिक क्लेश हो रहा है। घर, बिघर रहे हैं, वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ रही है, भाईचारे की भावना कमजोर पड़ गई है। 

उन्होंने कहा कि भविष्य को देखते हुए हमे अपने संस्कार और संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति से आते हैं, लिहाजा जरूरी है कि सबसे पहले हम अपनी संस्कृति को मजबूती से आगे बढ़ाए, जिससे हमारे संस्कार पल्लवित होंगे और आने वाली पीढ़ी उतनी ही दमदारी से आगे बढ़ती रहेगी।